कहानी
ओपनिंग सीन—रंजीत डोबरियाल की 100वीं बर्थडे पार्टी, सब कुछ टॉप क्लास और उसी वक्त बूम!—उनकी मौत. 69 बिलियन पाउंड्स की दौलत ‘जॉली’ नाम के बेटे के नाम होनी थी, लेकिन यार, तीन-तीन जॉली हाज़िर! अक्षय कुमार (जूलियस), रितेश (जलाबुद्दीन), और अभिषेक (जलभूषण)—तीनों अपना-अपना दावा ठोंकने लगे. फिर टर्न आता है—मर्डर हो जाता है. अब असली जॉली कौन, मर्डर किसने किया? बस, यही पूरा मसला है. पूरी मूवी whodunit मिस्ट्री और देसी कॉमेडी का कॉकटेल है, और एंड तक रहस्य खुलता नहीं.
सबसे बड़ी तिकड़म—ये फिल्म दो क्लाइमैक्स के साथ आती है—“Housefull 5A” और “5B”. टिकट खरीदते वक्त ही डिसाइड करो कौन-सा एंड देखना है. डबल धमाका, भाई!
अभिनय
करीब 19 एक्टर्स, लेकिन मेन प्लेयर्स—अक्षय, रितेश, अभिषेक, जैकलीन, सोनम, जॉनी लीवर, संजय दत्त, और नाना पाटेकर. मस्त लाइनअप है, कोई शक नहीं.
अक्षय कुमार—बॉस, वही पुराना सुपरहिट फॉर्मूला, उनकी कॉमिक टाइमिंग मतलब ऑक्सीजन. फिल्म उनके भरोसे ही टिकी है, सीरियसली. रिव्यूज में भी वही ‘सेविंग ग्रेस’ घोषित.
रितेश—बेफिक्र मस्ती, हर फ्रेम में ताजगी ले आता है.
नाना—सीन कम, लेकिन इंटरपोल चीफ वाला किरदार मज़ा दे गया.
बाकी बचे अभिषेक, जैकलीन, सोनम, संजय—ग्लैमर और लाइट कॉमेडी में बिजी. टैलेंट थोड़ा वेस्ट हुआ मानना पड़ेगा.
डायरेक्शन और स्क्रिप्ट
तारुण मनसुखानी ने सेट्स और ग्रैंडनेस पर तो पानी की तरह पैसा बहाया, लेकिन भाई, स्टोरी में दम नहीं है. सेकंड हाफ तो खिंच-खिंच के पकाता है. साजिद नाडियाडवाला की स्क्रिप्ट में वो कड़क वन-लाइनर्स मिसिंग हैं. ज्यादातर डबल मीनिंग जोक्स—मतलब, फैमिली ऑडियंस हॉल में थोड़ा असहज महसूस कर सकती है.
कुछ लोग इसे सीधा ‘B ग्रेड कॉमेडी’ बोल गए. दिमाग बंद, पॉपकॉर्न ओपन—तो चल जाएगा, वरना कहानी-वानी में कुछ खास नहीं.
टेक्निकल साइड
फिल्म का लोकेशन—फैंसी क्रूज़ शिप, और सेट डिज़ाइन क्या ही बोलूं, हर फ्रेम में पैसा झलकता है. कैमरा वर्क तेज, कट्स शार्प, लेकिन यार, 2 घंटा 45 मिनट?—थोड़ा लंबा खिंच गया. बैकग्राउंड स्कोर भी कई बार सिर के ऊपर से चला जाता है. गाने-कुछ ठीक, कुछ जबरन ठूंसे हुए.
पॉजिटिव्स
ड्यूल एंडिंग—इंडियन सिनेमा में पहली बार, और लोगों को एक्साइट भी कर गया.
बॉक्स ऑफिस पर धमाल—सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर गया, ट्रेड पंडित भी मान गए “mass comedy अभी भी बिकती है”.
अगर सिरदर्द फ्री, ग्लैमरस एंटरटेनमेंट चाहिए—तो पैसा वसूल.
नेगेटिव्स
कहानी में लॉजिक ढूंढना बेकार—स्पेशली सेकंड हाफ में, कहां से कहां पहुंच जाती है.
डबल मीनिंग जोक्स—कई बार सस्ती फील आती है.
महिला किरदार—ग्लैमर के अलावा कुछ खास रोल नहीं, बस स्क्रीन पर दिखना है.
फ्रैंचाइज़ी थक गई है—Reddit वाले तक बोल रहे “they have milked it dry”—ब्रांड थकावट साफ दिखती है.
निष्कर्ष
Housefull 5—बड़ा, चमकीला, और दिमाग मत लगाओ टाइप एंटरटेनर. ड्यूल एंडिंग वाला एक्सपेरिमेंट बढ़िया है—कम से कम कुछ नया तो किया. अक्षय-रितेश की केमिस्ट्री, वही पुराना फन. लेकिन, कहानी ढीली, रनटाइम लंबा और जोक्स कई बार क्रिंज लेवल छू लेते हैं.
सीधी बात—अगर लाइट कॉमेडी, ग्लैमर, रहस्य और स्टार्स की भरमार चाहते हो, तो ये फिल्म टाइमपास है. मगर, अगर स्टोरी, फ्रेश ह्यूमर और फैमिली वाइब्स चाहिए—तो भाई, निराशा हाथ लगेगी.
रेटिंग
IMDb/Rottentomatoes—15% पॉजिटिव (क्रिटिक्स बोले “ना बाबा ना”)
बॉलीवुड हंगामा—3.5/5 (“पैसा वसूल, किलर कॉमेडी”)
Hindustan Times—3/5 (अक्षय सुपरस्टार, बाकी सब औसत)
संक्षेप में—
फैंस: हंसी चाहिए, तो दिमाग घर छोड़ो.
कहानी प्रेमी/क्रिटिक्स: शायद पसंद न आए.
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